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17 February 2014

शिकायतें भी ज़रूरी हैं



 जो अनजान हैं कुछ उन से, मुलाकातें भी ज़रूरी हैं
तारीफ़ें बहुत मिलीं, सबकी शिकायतें भी ज़रूरी हैं

इस धोखे में था अब तक, कि सब कुछ सही है
कहता सुनता जो मन की, दोस्त अपना वही है

जो आँखें बंद थीं, उनका अब खुलना भी ज़रूरी हैं 
सब गैर भी अपने हैं, उनकी शिकायतें भी ज़रूरी हैं


~यशवन्त यश©

[ एक दोस्त के फेसबुक स्टेटस से प्रेरित ] 

16 comments:

  1. सटीक भाव..
    तारीफ तो बहुत मिली शिकायते भी जरुरी है....
    सुन्दर प्रस्तुति...

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  2. बहुत बढ़िया ! सार्थक सटीक सत्य वचन !

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  3. बहुत सुन्दर और सार्थक प्रस्तुति...

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  4. bahut sahi kaha aapne sunder likha hai
    badhai
    rachana

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  5. बहुत ही सुन्दर और सार्थक प्रस्तुति ।

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  6. बहुत सो लिए. स्वप्नों में भी बहुत खो लिए, जगना बहुत जरूरी है..सुंदर भाव !

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  7. सुन्दर रचना

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  8. shikayetein bahut jaruri hain.......:-)
    sarthak rachna........

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