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01 May 2012

मई का पहला दिन (मजदूर दिवस विशेष)



आज
न गणतन्त्र दिवस है
न स्वतन्त्रता दिवस है
न होली है आज
न दिवाली है
न 'सितारों' का जन्म दिन है
न किस्मत के खुलने का दिन है
मई का पहला दिन है
दिन है जो आधार है
मुट्ठी मे बंद संपन्नता का
दिन है जो आधार है
स्वतन्त्रता का
दिन है उनका
जिनके अरमान
शोषण की दीवाली
मनाते हुए
अपेक्षाओं के आसमान मे
हर रोज़ बिखरते  हैं 
और उनकी बारूदी महक
दबा कर रख दी जाती है
सहेज दी जाती है
मौकापरस्ती की होली
एक दिन मनाने को
दिन है उनका
जिनके हाथ
अगर थम जाएँ
खेतों खलिहानों मे
कारखानों मे
तो मयखानों के
सुरूर मे डूबे 
शरीफ
ताकते रह जाएँ अपनी राह
मगर
यह दिन है जिसका
वो जीता है
अपने ही उसूलों पे
गीता के कर्म पे
जीवन के मर्म पे
वो गतिशील है
प्रगतिशीलता के लिये
स्थिरता के लिये
शायद तभी
इतना खामोश है
आज का दिन
मई का पहला दिन। 

>>>>यशवन्त माथुर <<<<

27 comments:

  1. बेहद सुंदर..... सटीक अभिव्यक्ति....

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  2. संवेदनशील ....बहुत सुंदर रचना .....
    मजदूरों का जीवन ...बहुत ही प्रभावी प्रस्तुती ....
    शब्द ढूँढ रही हूँ तारीफ़ के लिए ....

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  3. इस बार बंगाल में छुट्टी रहेगी ?

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  4. Anupama Tripathi :- शब्द ढूँढ रही हूँ तारीफ़ के लिए .... !!
    मिले तो मुझे भी बता दीजिएगा .... !!
    अगर थम जाएँ
    खेतों खलिहानों मे
    कारखानों में
    *गृहणी को भी शामिल क्यों नहीं करता कोई ??
    तो मयखानों के
    सुरूर मे डूबे
    शरीफ
    ताकते रह जाएँ अपनी राह
    कडवी मगर सच .... !!

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  5. श्रम दिवस पर सटीक,सुन्दर अभियक्ति....

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  6. बहुत ही अच्छी रचना... श्रम दिवस के विचार को आपकी कविता ने सुन्दरता से प्रस्तुत किया है...

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  7. Excellent & meaningful lines, signifying the importance of Labour on this day. Compliments Yashwant ji.
    Regards!

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  8. यही तो मजदूरों के भाग्य की विडम्बना है,
    सटीक,सुन्दर अभिव्यक्ति ....

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  9. आपकी उत्कृष्ट प्रस्तुति
    बुधवारीय चर्चा-मंच पर |

    charchamanch.blogspot.com

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  10. हृदयस्पर्शी भावाभिव्यक्ति....

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  11. बेहद मार्मिक लिखा है सच्चाई से कटाक्ष करती उत्तम अभिव्यक्ति

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  12. बहुत बढ़िया यशवंत......................

    धारदार लेखनी है आपकी.....
    बेहतरीन रचना के लिए बधाई....

    सस्नेह.

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  13. bahut sundar aur sarthak post

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  14. वो गतिशील है
    प्रगतिशीलता के लिये
    स्थिरता के लिये
    शायद तभी
    इतना खामोश है
    आज का दिन
    मई का पहला दिन।

    बहुत सार्थक प्रस्तुति.

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  15. यह दिन है जिसका
    वो जीता है
    अपने ही उसूलों पे
    गीता के कर्म पे
    जीवन के मर्म पे
    वो गतिशील है
    प्रगतिशीलता के लिये
    स्थिरता के लिये
    शायद तभी
    इतना खामोश है
    आज का दिन
    मई का पहला दिन।
    ..........saamyik lekh.....

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  16. बहुत सुन्दर .. समसामयिक रचना

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  17. मई दिवस पर सार्थक चिंतन कराती सुन्दर रचना ...आभार

    बहुत बढ़िया बिडम्बना है यह ..सबकुछ देखते हुए भी कितना दूर रहता है इनसे हमारा समाज..

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  18. श्रमिक दिवस पर सुन्दर अभियक्ति....

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  19. मजदूर दिवस पर एक सार्थक कविता...बहुत सुन्दर..य़शवन्त...

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  20. श्रमिक दिवस पर बेहतरीन रचना....

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  21. एकदम सटीक एवम सार्थक अभिव्यक्ति.
    सादर शुभकामनायें!

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  22. बहुत ही अच्‍छा लिखा है आपने ...आभार ।

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  23. श्रमिक दिवस पर सटीक एवम सार्थक अभिव्यक्ति....... शुभकामनायें!

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  24. श्रमिकों के त्याग और श्रम को सलाम..सुंदर प्रस्तुति !

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  25. very touching creation.

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  26. भावनात्मक खूबसूरत अंदाज में लिखी सुन्दर रचना |

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