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11 July 2011

वो औरत क्यों है?

नाजों से पाल कर
उसके माँ बाप ने
कार ,मोटर साइकिल
टी वी,फ्रिज
और कर्ज़ लेकर
नोटों की गड्डियां
दी थीं दहेज में
फिर भी उससे
आखिर एक गलती
हो ही गयी थी

नन्ही सी परी
उसकी गोद में  आ गयी थी
उसकी  सास उसे घर से
निकाल रही थी
घर  का चिराग
न मिलने से
खिसिया रही थी

वो रो रही थी
खीझ रही थी
अपनी किस्मत पे
यही सोच सोच कर कि
वो खुद एक औरत क्यों है?

वो  औरत क्यों है
जिसके बेटे से
वह ब्याही गयी थी
और वो भी
जिसने  उसे जन्म दिया था ......?

33 comments:

  1. Bilkul mere man me uthate saval ko shabd diya hai . kamal likha hai

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  2. एक ऐसा प्रश्न जिसका उत्तर ही नही मि्ल रहा…………प्रश्न करती बहुत सुन्दर रचना।

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  3. कैसी विडंबनापूर्ण स्थिति है कि औरत ही औरत के दुःख का कारण बनती है, समाज की मानसिकता बदल रही है पर बहुत धीरे-धीरे...

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  4. बहुत मार्मिकता के साथ समाज के सच को उदघाटित किया है यशवंत जी आपने ..आभार

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  5. भाई आपने तो कम शब्दों मे ही बहुत कुछ कह दिया ..काश हम सब इस सच को समझ पाते तो समस्याएं खत्म हो जाती| सुन्दर और मार्मिक कविता

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  6. बहुत गहन बात .. आज भी ऐसा सोचने वाले बहुत लोंग हैं ...सार्थक रचना

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  7. बधाई ||
    अच्छी प्रस्तुति ||

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  8. अच्छी लगी यह कविता।

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  9. बहुत मार्मिकता में लिप्त यतार्थ परोस दिया है आपने......

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  10. इस प्रश्न का उत्तर अगर कोई दे पाये तब शायद बेटियाँ भी दुलार पा सकें...... बहुत अच्छा सोचा है .... शुभकामनायें !

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  11. This is one of your best !!
    Awesome ..

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  12. बड़ा मुश्किल है लालच की आंख बंद कर पाना

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  13. बहुतही भावप्रणव और सशक्त रचना!

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  14. वो औरत क्यों है
    जिसके बेटे से
    वह ब्याही गयी थी
    और वो भी
    जिसने उसे जन्म दिया था

    सोच बदलने में कितना समय लगेगा किसी के पास हिसाब नहीं , किसे प्रयास करना है प्रश् तैर रहा है यशवंत जी , बेहतरीन कविता

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  15. सच एक औरत की किस्मत में आज भी न जाने कितने दुख: भरे हैं!
    मर्मस्पर्शी सार्थक प्रस्तुति के लिए आभार!

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  16. बेहद मर्मस्पर्शी .....
    कभी कभी ये सवाल लोगो की जिंदगी बदल देते हैं ... और कभी भविष्य भी |
    आपके लेखन के लिए....बहुत-बहुत शुभ-कामनाएं आपको

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  17. nari jeevan ki mazboori darshati rachna..........

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  18. ये आज से नहीं बल्कि पता नहीं कब से चली आ रही है। जिस तरह सुरज पुरब में निकलता है ये एक शाश्वत सत्य है उसी तरह औरत ही औरत की दुश्मन होती है ये भी एक शाश्वत सत्य है। काश इसे हम बदल पाते। मार्मिक रचना।

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  19. सबकुछ के बाद भी आखिर एक गलती
    हो ही गयी थी

    नन्ही सी परी
    उसकी गोद में आ गयी थी... कारण साये की तरह साथ चलते हैं . अपना स्वाभिमान अपने हाथ है ... माँ चाहे तो काल बन सकती है

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  20. बहुत सुंदर..... प्रभावित करती सशक्त रचना ....

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  21. बेहद मर्मस्पर्शी ,उत्तरविहीन प्रश्न , फिर भी तलाश जारी है

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  22. शायद इसीलिए कहा गया होगा - औरत ही औरत की दुश्मन है

    कुण्डलिया छन्द - सरोकारों के सौदे

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  23. यथार्थ के धरातल पर रची गयी एक सार्थक सुन्दर अभिव्यक्ति ... हार्दिक बधाई.

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  24. सच है नारी ही नारी को नहीं समझ आई आज तक ... मार्मिक रचना है ...

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  25. यशवंत माथुर जी बहुत बड़ा प्रश्न आप का -ये समाज न जाने कब सुधरेगा -जिसकी वजह से आज उसका वजूद है उसी के खिलाफ खड़ा हो जाता है समाज हद तो तब हो जाती है जब नारियां खुद बेटियों को आने नहीं देना चाहती -काश ये सब होश में आयें -

    वो औरत क्यों है
    जिसके बेटे से
    वह ब्याही गयी थी
    और वो भी
    जिसने उसे जन्म दिया था ...
    शुक्ल भ्रमर ५
    भ्रमर का दर्द और दर्पण

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  26. वो औरत क्यों है
    जिसके बेटे से
    वह ब्याही गयी थी
    और वो भी
    जिसने उसे जन्म दिया था ......?

    ...एक कटु सत्य को उजागर करती बहुत मार्मिक प्रस्तुति..पता नहीं कब बेटियों के प्रति हमारी मानसिकता बदलेगी..बहुत सुन्दर

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  27. यशवंत जी ,
    सार्थक सुन्दर अभिव्यक्ति ... हार्दिक बधाई.

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  28. जिस दिन मेरा रोना खीझना बन्द होगा उस दिन मेरे जीवन में सुख और सम्मान की पहली किरण का उजाला होगा...

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  29. यह सवाल भारत में अभी काफी दशकों तक चलता रहेगा.. कटु सच...

    परवरिश पर आपके विचारों का इंतज़ार है..
    आभार

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  30. आपका प्रश्न अत्यंत गंभीर और सोचनीय है ...आभार

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  31. औरत ही औरत की शायद सबसे बड़ी दुश्मन है...
    बहुत अच्छा लिखा है,....

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  32. प्रश्न पूछती सार्थक सुन्दर अभिव्यक्ति .

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  33. आप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद.

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