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14 March 2011

क्षणिका

गमले में खिला
गुलाब
मुझे देख कर
मुस्कुरा रहा है
और मैं
जल रहा हूँ
चिढ रहा हूँ
काँटों के बीच
उसकी
जीवटता देख कर .

14 comments:

  1. जलिये मत ………सीखिये उससे जीना इसी को कहते हैं।

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  2. बहुत सुन्दर..कठिनाइयों के बीच भी जो मुस्कराता रहे वही तो असली जीना है.

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  3. जिसमें भी जीने की उत्कट लालसा होगी वही ऐसा जीवन जी सकता है ।जीवन का मूल मंत्र पाने के लिये बधाई ..

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  4. jaliye mat baraabari kariye...

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  5. Vandna ji ne sahi kaha hai -gulab se jeevan jeene ki kala sikhiye .

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  6. वो जिविट रहने का संदेश दे रहा है ... सिखा रहा है काँटों के बीच भी ....

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  7. एक संदेश है गुलाब का कांटों के बीच यूं होना ...।

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  8. बहुत खूब... सुंदर सकारात्मक क्षणिका

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  9. वाह !! क्या बात कही हिया ... बहुत खूब .

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  10. आप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद!

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