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18 November 2010

हमें चाहत ही क्या है (Post No.-100)

(फोटो: साभार गूगल इमेज सर्च )

कोई परवाह नहीं
तुम्हारी कुटिल मुस्कान की
मैं जानता हूँ कि
इसका राज़ क्या है

मेरी छटपटाहट में
तुम्हारी ये खुशी
मैं जान न सका कि
तुम्हारी पहचान क्या है

खता मेरी ही थी
तुम से  दिल लगाने की
मेरी वफ़ा की अब तुझ को
कोई परवाह क्या है

तुम जी लेना खुशी से
खुदपरस्ती  के साये में
तेरे सिवा अब भी
हमें चाहत ही क्या है



14 comments:

  1. ... छा गये यशवन्त जी ... दिन-व-दिन ब्लागजगत में नई ऊंचाईयों की ओर .... बहुत बहुत बधाई व शुभकामनाएं !!!!

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  2. अरे वाह!
    आज पहला मै हुआ
    १०० वी पोस्ट पर बधाई देने वाला .......क्या संयोग है

    आपका मित्र,भाई
    संजय भास्कर

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  3. १०० वी पोस्ट पर बहुत बहुत बधाई|

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  4. 100 vi post par shubhkamnye.is avsar par to koi khushyon se mahakti hui kavita honi chahiye thi .koi baat nahi humari prampara me to 101 ka jyada mahatv hai .next time aware!

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  5. मेरी छटपटाहट में
    तुम्हारी ये खुशी
    मैं जान न सका कि
    तुम्हारी पहचान क्या है

    इन हालातों में पहचान मुश्किल ही होती है.... १००वीं पोस्ट
    की बधाई.... सतत लेखन की शुभकामनाओं के साथ ....

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  6. gambheer bhavon se yukt yatharthvadi kavita !100 vi post ki hardik shubhkamnaye!

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  7. बहुत खूब ...

    १०० वीं पोस्ट के लिए बधाई ...

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  8. १००वीं पोस्ट की बधाई....यशवंत भैया :)

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  9. तुम जी लेना खुशी से
    खुदपरस्ती के साये में
    तेरे सिवा अब भी
    हमें चाहत ही क्या है

    100वीं पोस्ट पर ढेर सारी बधाई।...बहुत ही खूबसूरत लिखा है...और हर तरह से चाहे भाव हो, चाहे शब्द संयोजन हो, चाहे शिल्प बहुत अच्छी रचना है....फिर से दिल से बधाई

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  10. १०० वी पोस्ट पर बहुत बहुत बधाई|

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  11. बहुत बढ़िया लिखा है यशवन्त जी!१०० वीं पोस्ट पर हार्दिक शुभ कामनाएं.

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  12. शतक पर बहुत बहुत बधाई। कविता भी अच्छी लगी। शुभकामनायें

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  13. आदरणीय संजय जी,जोशी जी,अनु जी,शिखा जी,मोनिका जी,शालिनी जी,क्षितिज जी,प्रिय चैतन्य,वीना जी,नीति जी एवं निर्मला जी-बहुत बहुत धन्यवाद आप सब कि शुभ कामनाओं, प्यार और आशीर्वाद के लिए और उमीद करता हूँ कि आप इसे बनाए रखेंगे.

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